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Thursday 2 August 2012

अपनी मानस बहन अर्चना पंत के लिए


सपने में रोते हुए
सचमुच के आँसू निकल आते हैं.
सपने में गूँजती है
सचमुच की हँसी ।

कुछ लोग
सपने में ही बिछड़ जाते हैं
तो कुछ लोगों का मिलना
किसी सपने जैसा ही होता है ।

वो नींद
कितनी पवित्र होती होगी
और कैसी अदम्य छटपटाहट से भरी,
जिसके सपने सच हो जाते हैं ।

ऐसी ही किसी नींद के
एक अप्रत्याशित स्वप्न में
मुझे तुम मिलीं
और मेरा पूरब
एक सूर्योदय की लालिमा से भर गया ।

1 comment:

Onkar said...

bahut sundar abhivyakti